इन दिनों  देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में देश के विभिन्न राज्यों के लोगों की जुटान है। मानो काशी देश की राजनीतिक राजधानी भी बन बैठी है। कोई विदेश से छुट्टी लेकर आया है, तो कोई पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा से पहुंचा है।

हजारों की संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनका सीधे तौर पर पार्टी या पार्टी कार्यालय से कोई लेना-देना और संपर्क नहीं है, लेकिन वे सिर्फ मोदी के लिए बनारस पहुंचे हैं। वे कहते हैं कि उन्हें बखूब पता है कि मुकाबला एकतरफा है, लेकिन वे मोदी के सम्मान और समर्थन में यहां पहुंचे हैं। वे चाहते हैं कि मोदी इस बार रिकॉर्ड वोट हासिल करें।

बांग्लभाषी बहुल मुहल्ला पांडेय हवेली। यहां एक गेस्ट हाउस में पश्चिम बंगाल से आए रमन शर्मा, अभिजीत चंद्रा, प्रदीप मंडल, बुद्धदेव बाध्यकर, बबलू बाउरी और मानव चंद्रा बैठकर मोदी के प्रचार की रणनीति में जुटे मिले। इनकी कुल 18 लोगों की मंडली 6 मई से बनारस में कैंप किए हुए है। ये सिर्फ मोदी के प्रचार के लिए स्वप्रेरित होकर बनारस तक आए हैं।

बंगाल में पंचायत चुनाव के पहले हर किसी को सरकार के खिलाफ बोलने की मनाही थी। उसके बाद जब भाजपा का प्रभुत्व बढ़ने लगा तो सिर्फ और सिर्फ भाजपा वालों को मारापीटा जा रहा है। ममता के राज में लोकतंत्र वहां खत्म हो चुका है, हम दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। वे कहते हैं, राष्ट्रद्रोही शक्तियों ने हमारे राज्य को कब्जे में ले लिया है। यही वजह है कि हम दोबारा मोदी सरकार चाहते हैं, मोदी के लिए बनारस तक आए हैं।

बातचीत के बाद यह टोली पतालेश्वर मोहल्ले की तरफ जनसंपर्क के लिए निकल पड़ती है। ये लोग काशी में बसे बांग्लाभाषियों से लगातार संपर्क कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल से 22 पदाधिकारी अधिकृत तौर पर बनारस में मौजूद हैं जबकि बिना बुलाए वहां से आने वालों की संख्या 300 से अधिक है।

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