जर्मनी के राजदूत ने भारत के लोगों के साथ साथ राष्ट्रपति का भी दिल जीता

दिल्‍ली का तापमान करीब 40 डिग्री सेल्सियस। चटकती धूप और सड़कें लगभग सुनसान। ऐसे में एक चटक लाल रंग की गाड़ी राष्‍ट्रपति भवन में दाखिल हुई। इसमें से जो शख्‍स उतरा वो भारत में जर्मनी के नए राजदूत वाल्‍टर जे लिंडर थे। वे राष्‍ट्रपति के समक्ष औपचारिकतौर पर अपने दस्‍तावेज सौंपने यहां आए थे। लेकिन उनका आना और जाना दोनों ने ही हिंदुस्‍तानियों का दिल जीत लिया। इसकी दो बड़ी वजह थीं। पहली वजह थी उनकी वो कार जिसमें वाल्‍टर आए थे।

जिस चटक लाल रंग की कार में वाल्‍टर राष्‍ट्रपति भवन पहुंचे थे वो एंबेसेडर कार थी, जो अब भारत में बंद हो चुकी है। एंबेसेडर कार कभी नेताओं से लेकर बड़े आला अधिकारियों की पहचान हुआ करती थी। इस कार में कौन व्‍यक्ति कहां से उतर रहा है, उससे उसका रुतबा पता चल जाता था। कभी यह कार संसद भवन और राष्‍ट्रपति भवन में एक कतार से खड़ी दिखाई दे जाती थी, लेकिन समय का पहिया चला और यह बंद हो गई। लेकिन इसके बाद भी भारतीयों के दिलों दिमाग में इसकी छवि जस की तस आज भी बरकरार है।

भले ही कोई कितनी महंगी कार में बैठता हो लेकिन इस कार को हर कोई आज भी हसरत भरी निगाहों से देखता है। यही वजह थी कि वर्तमान में जहां राष्‍ट्रपति भवन में बीएमडब्‍ल्‍यू और मर्सडीज जैसी दूसरी कारों के आने जाने का सिलसिला लगा रहता है वहां पर लाल रंग की एंबेसेडर ने सभी को हैरत में डाल दिया। इसमें से उतरने वाले वाल्‍टर को देखकर राष्‍ट्रपति भवन में तैनात गार्ड से लेकर उन्‍हें रिसीव करने वाले अधिकारी तक के चेहरे पर आई मुस्‍कान ने यह जाहिर कर दिया कि उन्‍हें यह सब कुछ देखकर कितना अच्‍छा लगा है।

जिस लाल रंग की एंबेसेडर से वाल्‍टर राष्‍ट्रपति भवन पहुंचे थे उस पर एक तरफ जर्मनी का झंडा लगा था। पीछे की सीट पर कोट पहने वाल्‍टर बैठे थे। उनके पीछे महंगी कारों का कोई काफिला भी नहीं था और न ही कोई खास सिक्‍योरिटी थी। उन्‍होंने सबसे ज्‍यादा हैरत में राष्‍ट्रपति कोविंद को उस वक्‍त डाला जब अपने दस्‍तावेज सौंपते हुए उन्‍होंने हिंदी में कुछ कहा। इसको सुनकर राष्‍ट्रपति के चेहरे पर भी मुस्‍कान आ गई।

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