केंद्रीय मंत्रिमंडल ने Monday को उपभोक्ता संरक्षण कानून को मंजूरी दे दी, इससे ग्राहकों को तमाम अधिकार दिए गए हैं। इसमें सबसे अहम है कि किसी उपकरण या सामान की खराबी पर विक्रेता, निर्माता दोनों पर शिकंजा कसेगा। यह विधेयक पिछली Loksabha के दौरान भी पेश किया था, लेकिन राज्यसभा से पारित नहीं हो पाने के कारण अस्तित्व में नहीं रहा। नया कानून 1986 के उपभोक्ता संरक्षण कानून की जगह लेगा। विधेयक के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और निगरानी के लिए एक कार्यकारी समिति बनाने का भी प्रावधान होगा।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण एजेंसी का गठन किया जाएगा। इसकी राज्य और जिला स्तर पर शाखाएं होंगी, जो ग्राहकों की शिकायतों को सुनेंगी। ऐसे में किसी भ्रामक विज्ञापन या किसी अनुचित व्यापार के तरीकों से ग्राहकों को नुकसान पहुंचता है तो प्राधिकरण मुआवजा तय करेगा। प्राधिकरण को यह आदेश देने का अधिकार होगा कि वह आरोपी कंपनी को सारे उत्पाद वापस लेने और ग्राहकों को उसका पैसा लौटाने को कहे। अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग की तरह इस कानून को बनाया गया है।
अगर मामले का व्यापक प्रभाव पड़ा है तो क्लॉस सूट एक्शन शुरू किया जाएगा। यानी उत्पाद के विनिर्माता या सेवा आपूर्तिकर्ता कंपनी को व्यापक जवाबदेही होगी। विधेयक के तहत क्लॉस एक्शन सूट का प्रावधान जोड़ा गया है, यानी कि किसी खराब सामान या सेवा पर निर्माता या सेवा देने वाले की जिम्मेदारी सिर्फ प्रभावित ग्राहक तक नहीं होगी, बल्कि उस सेवा से जुड़े सभी उपभोक्ताओं तक होगी।