बिना ज्ञान के थमा दी गई थी स्टेरिंग

 Agra में Yamuna Express-Way पर कल जनरथ बस के बड़े हादसे ने परिवहन निगम प्रशासन के जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। एक्सप्रेस-वे फर्राटा लेन पर उस चालक को गाड़ी सौंप दी गई जो उस रूट पर चला ही नहीं। नतीजा बड़े हादसे के रूप में सामने आया।

इस हादसे में अपनी जान गंवाने वाले नियमित चालक 47 वर्षीय कृपाशंकर चौधरी गाजीपुर-कानपुर रूट पर चलते हैं। उन्हें गाजीपुर जाना था। रविवार रात सवारी कम थीं। इसी दौरान अचानक उन्हें Delhi जाने का फरमान थमा दिया गया। परिवहन निगम प्रबंधन से उस चालक को एक्सप्रेस-वे पर बस ले जाने का फरमान सुना दिया जो कभी उस रूट चला ही नहीं था। चालक बस लेकर निकला। कन्नौज में टोल प्लाजा से बमुश्किल पांच किमी. दूरी ही तय की होगी कि हादसा हो गया।

Yamuna Express-Way पर बस चलाते वक्त रोडवेज ड्राइवर कृपाशंकर चौधरी को झपकी लगी या बस में कोई खामी थी, ये तो जांच में साफ होगा। मगर, परिवहन निगम जरूर गहरी नींद में है। भले ही इस नई बस में कोई कमी न निकले लेकिन, हादसे की आशंका के रास्ते पर निगम की हर बस रफ्तार भर रही है। Agra-Delhi Yamuna Express-Way पर हुए हादसे का कारण क्या है? यह अभी स्पष्ट नहीं है। कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है कि चालक को झपकी आ गई हो। आशंका यह भी जताई जा रही है कि शायद बस में अचानक कोई खराबी आ गई हो। अब बड़ा प्रश्न है कि क्या डिपो से निकलने से पहले बस की फिटनेस के बारे में चालक ने नहीं बताया होगा। मुख्यालय में बैठे एक अफसर जवाब देते हैं कि शायद बताया होगा, क्योंकि यह तो नियमित चालक थे। यहीं से दूसरा सवाल जन्म लेता है-चालक नियमित न हो, संविदा का हो तो? इसका जवाब प्रदेश भर में परिवहन निगम की बसों में सफर करने वालों की सुरक्षा पर सवाल उठाता है।

अधिकारी ने बताया कि पहले व्यवस्था थी कि जब बस डिपो में आती थी, तब चालक रजिस्टर में लिखते थे कि बस में क्या कमी है। फिर डिपो से बस ले जाते समय लिखते थे कि हां, अब यह ठीक है। मगर, संविदा चालकों से ऐसी कोई फिटनेस रिपोर्ट नहीं ली जाती है।

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