उत्‍तर प्रदेश में जमकर हो रही सियासत

सियासत जब अपनी परिभाषित भूमिका बदलकर युद्ध में तब्दील हो जाए तो सब कुछ शायद उसी तरह जायज हो जाता है, जैसा इन दिनों उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। सबसे पहले 3 तलाक, फिर अनुच्छेद 370 और अंतत: राम जन्मभूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर सर्वसमाज, खासकर युवाओं ने जिस समझदारी, संवेदनशीलता और देशभक्ति का शालीन जज्बा दिखाया, उसने सामाजिक वर्गों को महज वोटबैंक मानने वाले सियासी दलों और संगठनों को बेइंतिहा बेचैन कर दिया।

सियासत भला यह कैसे बर्दाश्त कर सकती है कि हिंदू-मुसलमान सद्भावपूर्वक रहना सीख लें? फिर सियासत का धंधा-पानी कैसे चलेगा? फिर क्या था, रणनीति बनी और साजिश को अमली जामा पहनाने की तैयारी। इस बार Delhi के साथ उत्तर प्रदेश को रणभूमि बनाया गया। शुरुआत Lucknow से हुई और आग की लपटें कई शहरों तक पहुंचीं।

सरकारी संपत्तियों की होली जलाई गई। Police पर पत्थर वर्षा हुई और हिंदुस्तान मुर्दाबाद- Pakisat जिंदाबाद के नारों ने कुछ वैसा ही दृश्य पैदा किया, जैसा कुछ साल पहले एक रात जेएनयू परिसर में हिंदुस्तान को टुकड़े-टुकड़े करने का संकल्प लिए जाते वक्त दिखा था। संयोग है कि उस रात राहुल गांधी जेएनयू पहुंचे थे तो इस बार प्रियंका गांधी लखनऊ।

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