जाने लीप ईयर क्या होता है और क्यों मनाया जाता है

हर 4 साल बाद लीप ईयर मनाया जाता है जो फरवरी महीने में पड़ता है। लीप वर्ष में फरवरी में एक अतिरिक्त दिन जुड़ जाता है। जिससे लीप वर्ष में फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है। आइए लीप वर्ष के बारे में विस्तार से जानते हैं।

लीप ईयर क्या होता है?

आप सभी को पता है कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, जिसके कारण दिन-रात होते हैं और मौसम परिवर्तन होता है। पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगभग 365.242 दिन का समय लगता है। एक साल में 365 दिन होते हैं। ऐसे में 0.242 दिन का समय 4 वर्ष में जुड़कर एक दिन हो जाता है।

यही एक दिन हर 4 वर्ष में फरवरी में जुड़ जाता है, जो 28 से 29 दिन का हो जाता है और वह साल 365 के बजाय 366 दिन का हो जाता है। जब भी साल में 366 दिन या फरवरी में 29 दिन आते हैं, तब वह साल लीप ईयर होता है।

  1. एक लीप वर्ष में कितने दिन होते हैं?

आमतौर पर एक वर्ष में 365 दिन होते हैं, लेकिन एक लीप ईयर में 366 दिन होते हैं।    

  1. क्यों मनाया जाता है लीप वर्ष?

पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और 6 घंटे में पूरी करती है। इस तरह हर 4 वर्ष में एक दिन बढ़ जाता है। जो 4 वर्ष के बाद पड़ने वाले वर्ष में जुड़ जाता है। इस तरह हर 4 वर्ष पर लीप ईयर मनाया जाता है।

  1. लीप वर्ष में कितने दिन होते हैं?

पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और 6 घंटे में पूरी करती है और इस तरह चौथे वर्ष में दिनों की संख्या 366 होती है। जबकि फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है।

  1. अगला लीप वर्ष कब है?

हर चार वर्ष पर लीप ईयर मनाया जाता है। अगला लीप वर्ष 2024 में मनाया जाएगा

  1. लीप वर्ष कब प्रारंभ हुआ?

जब से दुनिया में Gregorian calendar को अपनाया गया। उस समय से लीप ईयर पड़ता है। प्रभु यीशु के जन्म वर्ष से Gregorian calendar को अपनाया गया है।

  1. पहला लीप वर्ष कब पड़ा था?

प्रभु यीशु के जन्म वर्ष के चार वर्ष बाद पहला लीप ईयर पड़ा था। उस समय से हर चार वर्ष बाद लीप ईयर पड़ता है 

  1. अगर लीप वर्ष न मनाएं तो क्या होगा?

अगर लीप वर्ष न मनाएं तो हम हर वर्ष सौर मंडल के समय चक्र से 6 घंटे आगे निकल जाएंगे। इस तरह 100 वर्ष बाद 25 दिन आगे हो जाएंगे और फिर मौसम परिवर्तन का जरा भी ज्ञान नहीं रहेगा। इसलिए हर चार वर्ष बाद लीप वर्ष मनाया जाता है।

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