लदंन:-ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेसा में ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर बुधवार को इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर “शर्मसार करने वाला धब्बा” करार दिया लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफी नहीं मांगी। जलियांवाला बाग नरसंहार अमृतसर में 1919 में अप्रैल माह में बैसाखी के दिन हुआ था।
भारत की आजादी की लड़ाई के आंदोलन में जानें कितने ही लोगों ने अपने प्राणों की आहूतियां दी लेकिन आजादी के मतवालों ने अमृतसर के जालियांवाला में जो अपने प्राणों की आहुति दी उसको कभी भी नहीं भुलाया जा सकता है। आज से 100 साल पहले, अप्रैल साल 1919 में बैसाखी के दिन अमृतसर के नजदीक जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा एक भीषण नरसंहार को अंजाम दिया गया।
बताया जाता है कि जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट के विरोध में एक सभा हो रही थी। जिसमें जनरल डायर नाम के एक अंग्रेज अफसर ने उपस्थित भीड़ पर अकारण ही गोलियां चलवा दीं थी। माना जाता है कि इस हत्याकांड में बच्चों, बूढों समेत 400 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते हैं।
अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस हत्याकांड में 1000 से ऊपर लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इस घटना का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर कुछ ऐसा असर हुआ कि यहीं से भारत में ब्रिटिश शासन के अंत का आरंभ बना। इस भयानक नरसंहार को लेकर लोगों का आक्रोश आजादी के इतने साल बाद भी लोगों में मन में धधक रहा है और अक्सर ही ब्रिटेन से इस मामले पर माफी मांगने की मांग उठती रही थी लेकिन इतने सालों तक कुछ भी नहीं हुआ।
बीते दिनों ही ब्रिटिश संसद में ब्रिटेन सरकार द्वारा माफी मांगने का प्रस्ताव रखा गया था जिसपर वहां खूब बहस हुई थी। मजेदार बात ये है कि ब्रिटेन के लगभग सभी सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था और इसे वक़्त की जरूरत बताया था। वहीं ब्रिटिश सरकार के एशिया पेसेफिक मामलों के मंत्री मार्क फील्ड ने इस घटना को लेकर संसद में संवेदना तो जताई थी, मगर घटना को लेकर उन्होंने माफ़ी मांगने से साफ इंकार कर दिया था। इससे कुछ समय पहले लंदन के मेयर सादिक खान ने अमृतसर दौरे पर बड़ा बयान दिया था।
उन्होंने कहा था कि वक्त आ गया है कि ब्रिटिश सरकार को 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए माफी मांगनी चाहिए, उन्होंने कहा था कि यह एक त्रासदी है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता, खान अमृतसर पहुंचे थे। जहां उन्होंने जलियांवाला बाग घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
उन्होंने कहा, जलियांवाला बाग जाना विश्वास से परे है, मारे गए लोगों के साथ हमारी संवदेना हैं, खान ने जलियांवाला बाग विजिटर्स बुक में लिखा था कि वक्त आ गया है कि ब्रिटिश सरकार आखिरकार माफी मांगे,1919 में वैशाखी की पूर्व संध्या पर हुई इस घटना को हमें अवश्य ही कभी नहीं भूलना चाहिए।