इकलौते बेटे शिवम की जान बचाने के लिए पिता अपहर्ताओं की फिरौती की मांग पूरी करने के लिए 2 दिन तक रकम लेकर इधर से उधर भटकता रहा। अपहर्ता रकम वसूली के लिए उसे अलग-अलग जगह पर बुलाते लेकिन खुद नहीं आते। 2 दिन तक लुका-छिपी के इस खेल के बाद अचानक पिता को पांडु नदी के पास बेटे की सैंडिल मिली और 4 दिन बाद खोजबीन में नदी से ही बेटे की लाश भी बरामद हुई।
अपहर्ताओं में एक अभियुक्त मोहल्ले का ही था। पहचान जाने पर पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी गई थी। पिता से Phone पर बातचीत में शिवम के आखिरी शब्द थे कि पापा, इन्हें रूपये देकर मुझे बचा लो नहीं तो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
पिता प्रदीप ने Court में दिए बयान में कहा कि महर्षि विद्या मंदिर बिनगवां में 12वीं कक्षा का छात्र शिवम 17 अगस्त 2009 की दोपहर बसंत विहार स्थित Coaching गया था। वह खागा तहसील में ड्यूटी पर थे तभी रात लगभग साढ़े 9 बजे बेटी का Phone आया कि शिवम घर नहीं पहुंचा। शाम को शिवम ने बेटी को Phone कर साइकिल खराब होने की बात कही थी। उसके बाद से उसका Mobile Such Off हो गया था।