कुछ ऐसी है आयुष्मान खुराना और नुसरत भरूचा की ‘ड्रीम गर्ल’

Ayushman Khurana हमेशा अपनी स्क्रिप्ट का चुनाव बहुत ही सोच समझकर करते हैं विकी डोनर से आज तक उन्होंने जिस भी फिल्म का चुनाव किया है उसकी कहानी फिल्म का सबसे मजबूत स्टार होती है। आज के डिजिटल इरा में पूरी दुनिया सोशल प्लेटफॉर्म पर एक दूसरे से कनेक्ट करके अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाना चाहती है मगर वास्तविक जीवन में सुख-दुख बांटने वाले दोस्तों का सचमुच अकाल सा हो गया है| यही आत्मा है फिल्म Dream Girl की।

छोटे से शहर में रहने वाला कर्मवीर बचपन से ही लड़की की आवाज निकालने में महारत रखता है। उसके पिता दिलजीत जो मरणोपरांत लगने वाले सामान के विक्रेता है, उनके साथ कर्मवीर अपनी बेरोजगार जिंदगी बसर कर रहा है| कभी-कभी राधा या सीता का किरदार निभाते हुए उसे इनाम मिल जाता है जो पिता के कर्ज निपटाने में खर्च हो जाता है।

ऐसे में उसे नौकरी मिलती है कॉल सेंटर में जहां पर वह लड़की की आवाज में दुनिया भर से बातें करता है और धीरे-धीरे उसे पता पड़ता है कि दुनिया में कितना अकेलापन है | पूजा के प्यार में पूरा शहर पड़ा हुआ है लेकिन मामला वहां पर गड़बड़ा जाता है जहां पर उसके आसपास के लोग भी पूजा से प्यार करने लगते हैं| आगे क्या होता है इसी ताने-बाने पर बनी हुई है फिल्म ड्रीम गर्ल।

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