एक तरफ सरकार खेल के लिए नए नए नियम लागू कर रही है ताकि इसके जरिए युवा देश का भविष्य बन सके। वहीं दूसरी ओर उन्ही की नाक के नीचे उच्च पद के अधिकारी पत्रकारों को मारने की धमकी के साथ साथ गलत शब्दों का भी प्रयोग कर रहे है।
यहीं नहीं खेल से मिली उपलब्धियों से भी वंचित कराने की धमकी दे रहे है। इसके पीछे की वजह कुछ और नहीं बल्कि भ्रष्टाचार है जिससे उनके हिसाब से काम नहीं हो रहा उनको मनमुताबिक पैसे नहीं मिल रहे है।
ये है घटना
ग्रेपलिंग एसोसिएशन ऑफ कानपुर के सचिव सुनील चतुर्वेदी ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में आये चार खेलों में खेल ग्रेप्पलिंग के खिलाड़ियों को ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में प्रतिभाग कराने हेतु स्पोर्ट्स डायरेक्टर आफ यूनिवर्सिटी राजेश प्रताप सिंह से मुलाकात करने उनके विभाग पहुंचे।
जहां उन्हें कहा जा रहा था कि पैसे के बिना कोई काम नहीं हो सकता। काफी कहा सुनी के बाद डायरेक्टर राजेश प्रताप सिंह ने सीधे तौर पर कह दिया की मुझे तुम्हारे खेल को भेजने का कोई मन नहीं है और मैं इस खेल को नहीं जानता हूं।
गेंम की जानकारी देने पर उन्होंने समझने की जगह उप संपादक पर कार्यरत सुनील चतुर्वेदी पर भड़क गए और भद्दे शब्दों का प्रयोग किया। मना करने पर मारने की धमकी की दी। जिसका पूरा वीडियो वायरल है और विभागीय रौब दिखाते हुए कहा मैं पत्रकारों को पैसा देता हूँ मेरा कुछ नही बिगाड़ पाओगे मेरी पहुंच ऊपर तक है। ऐसे ही नही यूनिवर्सिटी में इतने सालों से काबिज हूँ।
सबसे बड़े प्रश्न
- क्या यूनिवर्सिटी के दबंग डायरेक्टर राजेश प्रताप सिंह पर उच्च स्तर की कार्यवाही के साथ निलंबित किया जाएगा ?
- क्या दबंग का खेल अपने पद के विपरीत इसी तरह से जारी रहेगा ?
- इससे पहले भी कई पत्रकारों व खिलाड़ियों को कर चुका है अपमानित।
- घूस खोरी का व अपमानित किये गए पत्रकार व खेलसचिव को इंसाफ दिलाकर क्या मुख्यमंत्री अपनी जानी मानी छवि को प्रस्तुत कर पाएंगे ?
- नए खिलाड़ियों आगे बढ़ाने के बदले ऐसे ही अपना पेट भरने वाले स्पोर्ट्स डायरेक्टर पर लगेगी लगाम ?