मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान इन तीनों जगह अपनी सरकार बनने के बाद कांग्रेस के हौसले काफी बुलंद हो गए है। वो अपनी इसी रफ्तार के साथ आगे बढ़ते हुए बिहार में भी जीत का झंडा फहराना चाहते है। बिहार में तीन दशक के सियासी सूखे को हरियाली में तब्दील करने की कोशिशों में जुटी कांग्रेस को यूपी से मायावती और अखिलेश के महागठबंधन से मिले झटके पर झारखंड ने मलहम का कार्य किया है। झारखंड के बाद कांग्रेस की नजर अब बिहार पर है।
झारखंड में मिलीं 14 में से सात सीटें
झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने चार दलों के गठबंधन में राज्य में कांग्रेस को सबसे बड़ी हिस्सेदारी देकर राहुल गांधी के राष्ट्रीय कद को स्वीकार और अंगीकार कर लिया है। झारखंड की कुल 14 संसदीय सीटों में से झामुमो ने सात कांग्रेस को सौंप दिया है।
बिहार में अपनी किस्मत खुद तय करना चाहती कांग्रेस
झारखंड में प्रभावकारी भूमिका के बाद कांग्र्रेस की नजर अब बिहार पर है, जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की मंशा उसे आठ सीटों से आगे नहीं बढऩे देने की है। राजद की नीयत चाहे जो हो, लेकिन इतना साफ है कि कांग्रेस अब बिहार में अपनी किस्मत खुद तय करना चाहती है, किसी की गोद में बैठकर नहीं।