देश में हो रहे बदलाव से देश जल्द ही नए मुकाम पर होगा। कुछ समय पहले देश के कानून में एक अहम बदलाव हुआ और किन्नर के नाम से पहचाने जाने वाले तृतीय लिंग समुदाय को कानूनी मान्यता मिली। जोकि उनके लिए एक बेहद खुशी का समय था क्योंकि उन्हें भी समाज में पहचान मिली थी।
इसके बाद से ही इनकी स्थिति में सुधार का दौर शुरू हुआ और अब किन्नर समाज में अपने दर्जे के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसी दिशा में एक नई पहल रायपुर में हुई है। देश में पहली बार किन्नरों का सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया।
इसमें 15 जोड़ों का विवाह हुआ। दुल्हन के रूप में सजी किन्नरों के साथ युवकों ने शादी की सभी रश्में पूरी रीति-रिवाजों से निभाईं और अग्नी के सात फेरे लेकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। हिंदू रीति-रिवाज से सभी जोड़े एक पवित्र बंधन में बंधे। पचपेड़ी नाका स्थित पुजारी पार्क में मंडप सजाया गया और यहीं इन जोड़ों ने वैवाहिक जिंदगी में प्रवेश किया।
चित्राग्राही फिल्म्स की पहल पर आयोजित किन्नरों का विवाह पूरे विधि विधान से संपन्न हुआ। दूल्हे घोड़ी पर चढ़कर बारात ले कर निकले और अपनी दुल्हन को डोली में बिठाकर लाया। विवाह समारोह की संयोजिका विद्या राजपूत ने बताया कि विवाह में शामिल होने और आशीर्वाद देने लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रण पत्र भेजा गया था।
राष्ट्रपति ने अपने निजी सचिव के माध्यम से पत्र लिखकर विवाह की शुभकामना दी है। पत्र में लिखा है कि समय के अभाव और व्यस्तता के चलते विवाह में शामिल नहीं हो पा रहा हूं। इसका मुझे खेद है। सभी किन्नरों का कन्यादान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों हुआ। दूसरी ओर देशभर से किन्नर आशीर्वाद देने पहुंचे।