निकाह के लिए बेटियों ने पिता को पहुचायां सलाखों के पीछे

कानपुर

निकाह को लेकर एक अनोखा मामला सामने आया है। कानपुर के यशोदा नगर मछरिया निवासी चार बेटियों ने पिता के खिलाफ घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया। कहा, पिता का दायित्व है कि वह उनका निकाह कराए। गुजारा भत्ता के रूप में प्रतिमाह 20 हजार रुपये दिलाया जाए। काउंसलिंग के बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी को दिए बयानों में चारों बहनें अपनी बात पर डटी है। न्यायालय ने इन चारों युवतियों की काउंसलिंग कर समझौते के लिए मामला जिला प्रोबेशन अधिकारी के पास भेजा। 25, 23, 21 और 18 साल की इन चारों बहनों ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को एक सप्ताह पहले अपने बयान दर्ज कराए हैं।

साथ ही कहा है कि उनके पिता ने मां को 2015 में तलाक देकर घर से मारकर निकाल दिया। लेकिन चारों बेटिया पिता के साथ ही रहती है।  इसके बाद मारपीट कर घर से निकाल दिया था। वह पिता के साथ रहती हैं। पिता अक्सर चारों को मारपीट कर रुपये कमाकर देने को कहता है। शराब के नशे में मारपीट करने पर आठ दिसंबर 2018 को नौबस्ता थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

फेथफुलगंज के मकान का 15 हजार रुपये किराया भी आता है। इसलिए उन चारों बहनों को 20 हजार रुपये गुजारा भत्ता दिलाया जाए। चारों बहनें विवाह योग्य हैं। इसलिए पिता पर उनके निकाह की नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 को 26 अक्तूबर 2006 में लागू किया गया था।

अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि इस अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति दिलाने का प्रावधान है। किसी तरह की कोई सजा का प्रावधान नहीं है। सेक्शन 20 में चिकित्सा, खर्च दिलाने, बच्चों की फीस दिलाने और अन्य प्रकार के मुआवजे का प्रावधान है। सेक्शन 22 में मानसिक और भावनात्मक संकट पर प्रतिकर दिलाया जाता है।

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