रोगियों की जरुरतें नहीं हो रहीं पूरी महंगी जांचों की सुविधा हुई बंद…जानें पूरी कहानी

उर्सला अस्पताल में मरीजों को महंगी जांचों की सुविधा नही मिल पा रही यहां आने वाले गंभीर रोगियों की हेपेटाइटिस बी, सी, हाई ब्लड शुगर की जांच एचबीए 1सी , थायरॉयड आदि की जांच नही हो पा रही है। महिला रोगियों के हारमोंस की जांच में दिक्कत आ रही है। खासतौर पर डायलिसिस के रोगियों की हेपेटाइटिस आदि की जांच नही हो पा रही है।अस्पताल में उपलब्ध जांचो की सुविंधा से काम चलाया जा रहा है। जिन रोगियों के लिए अधिक जरुरी होता है। उन्हें बाहर से जांच कराने के लिए कहा जाता है।

उर्सला में निजी पैथोलॉजी का ठेका नही मिला है। इसकी वजह से महंगी जांचो के लिए दिक्कत हो गई है। गर्मी से डायलिसिस के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। मिश्रित वायरल संक्रमण की वजह से सेप्टीसीमिया के मरीज बढ़े है। हाई ब्लड शुगर के मरीजों को गुर्दों और हार्ट की दिक्कत हो रही है। इस वक्त जरुरी जांचे ना हो पाने का संकट पैदा हो गया है।

उर्सला के आईसीयू प्रभारी डॉ. शैलेंद्र तिवारी ने बताया की फेफड़ों में पानी भरने के मरीज भी बढ़े हैं। उनकी भी जांच महंगी होती है। इसके अलावा सर्जरी में अगर किसी के गांठ निकलती है। तो उसकी बायोप्सी कराई जाती है। बायोप्सी की जांच भी निजी पैथोलॉजी में कराई जाती रही। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.  मुन्नालाल ने बताया कि जांचों के लिए ठेका दिए जाने की प्रक्रिया चुनाव के बाद शुरु होगी।

उर्सला में मुफ्त डायलिसिस योजना लागू हो गई है। लेकिन मामला रोगी का फिस्टुला बनाने का फंस रहा है। डायलिसिस के रोगी की नस में पाइप डाला जाता है। डायलिसिस के दौरान इसी से रक्त आता जाता है। इसी को फिस्टुला कहते है। निजी अस्पताल में फिस्टुला पांच से 15 हजार के बीच बनाया जाता है। जो कंपनी डायलिसिस मशीन लगा रही है, उसने फिस्टुला बनवाने से मना कर दिया है। इस संबंध में उर्सला प्रबंधन और कंपनी के आला अधिकारियों के बीच शनिवार को बैठकक होगी ।

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