33 शहरों में जल प्रदूषण रोकने की कवायद हुई शुरु

प्रदेश के शहरी इलाकों में बढ़ते जल प्रदूषण को रोकने की कवायद शुरु हो गई है। इसके तहत सीवरेज सुविधा वंचित शहरी क्षेत्र के घरों के शौचालयों के सेप्टिक टैंकों से निकलने वाले सीवरेज का ट्रीटमेंट करने के लिए सेप्टेज मैनेजमेंट योजना तैयार किया गया है। इसमें अमृत योजना वाले 31 शहरों में छोटे-छोटे फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे। हालांकि पहले चरण में राज्य के 33 शहरों का चयन किया गया है, इसमें लखनऊ व कानपुर भी शामिल है।

क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र के मुताबिक अमृत योजना में शामिल 60 शहरों में से 25 शहर ऐसे हैं, जहां 25 से 40 फीसदी मकान सीवरेज सिस्टम से नहीं जुड़े हैं। इन मकानों के शौचालय से निकलने वाला सीवेज वहां बने सेप्टिक टैंक में जमा होता है। बाद में इन टैंको से सीवेज निकालकर खुले जमीन पर फेंक दिया जाता है। या नाले में डाल दिया जाता है। जो बहकर नदियों में चली जाती है। इसके चलते भू-जल में प्रदूषण बढ़ती जा रही है।

लिहाजा इन मकानों से निकलने वाले इस सीवेज का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने के लिए आरसीयूईएस ने सेप्टेड मैनेजमेंट योजना तैयार किया है। जिसे राज्य स्तरीय तकनीकी समिति और मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने मंजूरी दे दी है। आरसीयूईएस निदेशक एके गुप्ता ने बताया कि कर्नाटक के देवनहल्ली, ओडिशा के राउरकेला व पुरी और महाराष्ट्र के स्याना में यह योजना पहले से लागू है, वहां इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। इसी तर्ज पर यूपी में भी इस योजना को शुरु करने का फैसला किया है। उन्नाव व झांसी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्लांट लगाने का काम किया जा रहा है।

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