गर्मी में घूमने का एक अनोखा एक्सपीरियंस

मई-जून की तपती गर्मी में किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां इससे राहत मिलने के साथ ही थोड़ी सैर भी हो जाए तो स्पीति इसके लिए है परफेक्ट डेस्टिनेशन। जहां अप्रैल-मई में ही नहीं साल के 6 माह बर्फ की मोटी चादर बिछी होती है। नज़ारा इतना खूबसूरत होता है जिसका अंदाजा आपको यहां आकर ही लगेगा। रोमांस, एडवेंचर के साथ ही ये जगह धर्म-आध्यात्म के लिहाज से भी है बेहतरीन।

यह मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। 2002 में मंदिर परिसर में पाए गए शिलालेख से इसका खुलासा हुआ था। जिला मुख्यालय केलंग से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। त्रिलोकीनाथ मंदिर का प्राचीन नाम टुंडा विहार है।

शिलालेख में इसका वर्णन किया गया है कि यह मंदिर दवनज राणा ने बनाया था, जो त्रिलोकीनाथ गांव के राणा ठाकुर शासकों के पूर्वजों के प्रिय हैं। उनकी मदद चंबा के राजा शैल वर्मन ने की थी। हिंदू व बौद्ध परंपराओं के अनुसार इस मंदिर में पूजा की जाती रही है। यहां महिलाएं नहीं जातीं! यह झील पटन घाटी के नैनगार में स्थित है।

नीलकंठ महादेव नाम के अनुरूप ही यह नीले रंग की छोटी-सी झील है। नीलकंठ झील 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां दूर-दूर से सैलानी ट्रैकिंग के लिए आते हैं। नैनगार से यहां के लिए लगभग 12 किमी. पैदल सफर करना पड़ता है। इस झील से जुड़ा एक रोचक पक्ष यह है कि इसका दर्शन केवल पुरुष ही कर सकते हैं। महिलाओं को यहां आने की अनुमति नहीं है। महिलाओं को जाने की अनुमति क्यों नहीं है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *