ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की प्रोफेसर एमा रॉबिंसन ने कहा, ‘यह शोध पहले के अध्ययनों में सामने आए इस तथ्य का समर्थन करता है कि अवसाद अक्सर जैविक और मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण पनपता है। हमने इस संबंध को बेहतर तरीके से समझने की दिशा में कदम बढ़ाया है। उम्मीद है कि यह जानकारी आगे चलकर इसके इलाज का नया रास्ता तलाशने में भी मददगार होगी।’
तनाव का कारण बनने वाले हार्मोन कार्टिकोस्टेरोन का स्तर बढ़ाने से चूहों में नकारात्मक भावना का संचार होता है। ऐसे चूहे सकारात्मक और अच्छी बातों को नहीं समझ पाते हैं। धीरे-धीरे यही नकारात्मकता उनमें गंभीर अवसाद का कारण बन जाती है। वे पहले का ऐसा हर अनुभव भूल जाते हैं, जिसमें उन्हें खुशी मिली हो।
डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जिससे बहुत सारे लोग ग्रस्त हैं। अवसाद कई बार थोड़े समय के लिए ही रहता है, कभी यही अवसाद भयानक रूप ले लेता है। अवसाद की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हम जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं। जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अपना जीवन निरूद्देश्य लगने लगता है। जब मस्तिष्क को पूरा आराम नहीं मिल पाता और उस पर हमेशा एक दबाव बना रहता है तो समझिए कि तनाव ने आपको अपनी चपेट में ले लिया है।
तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोन का स्तर बढ़ता जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। लगातार तनाव की स्थिति अवसाद में बदल जाती है। अवसाद एक गंभीर स्थिति है। हालांकि यह कोई रोग नहीं है, बल्कि इस बात का संकेत है कि आपका शरीर और जीवन असंतुलित हो गया है। अवसाद को मानसिक बीमारी माना जाता है मगर इसके लक्षण आपको बाहर से भी दिखाई देते हैं।
डिप्रेशन का सबसे प्रमुख लक्षण यही है कि व्यक्ति हर समय परेशान रहता है और उसका किसी काम में मन नहीं लगता है। सामान्य उदासी इसमें नहीं आती लेकिन किसी भी काम या चीज में मन न लगना, कोई रुचि न होना, किसी बात से कोई खुशी न होनी, यहां तक गम का भी अहसास न होना अवसाद के लक्षण हैं।
डिप्रेशन एक तरह से व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति हर समय नकारात्मक सोचता रहता है। जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अपना जीवन निरूद्देश्य लगने लगता है। इसके अलावा हमेशा हीन भावना से ग्रस्त होना अवसाद का मुख्य लक्षण हो सकता है।
कुछ लोगों को जितना भी काम मिलता जाता है, लालच में लेते जाते हैं। ज्यादा मेहनत करना अच्छी बात है लेकिन अपने हाथ में काम उतना हीं लें जितना आप बिना किसी तनाव में आये समय पर पूरा कर सकें। अपनी क्षमता से ज्यादा ऑर्डर या काम लेने से आप काम करते वक्त तनाव में रहेंगे जिससे आपके साथ साथ आपके घरवाले भी तनाव में रहेंगे जिसका बुरा प्रभाव सब पर पड़ेगा और आपके काम कि क्वालिटी भी ख़राब होगी जिसके चलते आपको अलग से तनाव झेलना होगा।