कर्म, सृजन, वास्तु और शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा मंगलवार को धूमधाम से की जा रही है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा सृजन की ऊर्जा देता है, साथ ही कामकाज में आने वाली अड़चनों को दूर करता है। इस बार पूजा में आश्विन मास व अश्विनी नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बना है। इस योग में विश्वकर्मा पूजा करने से रोजी-रोजगार, कारोबार, नौकरी-पेशा में उन्नति होती है। साथ ही इस दिन भगवान शिव की आराधना से उनकी विशेष अनुकंपा की प्राप्ति होगी।
विश्वकर्मा पूजा के शुभ मुहूर्त सुबह 05.54 बजे से अपराह्न 01.16 बजे तक है।
मनमानस ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने पंचांगों के हवाले से बताया कि मंगलवार को आश्विन कृष्ण तृतीया को अश्विनी नक्षत्र एवं ध्रुव योग के युग्म संयोग में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। पंडित झा ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा ने सतयुग में स्वर्ग लोक, त्रेता युग में लंका, द्वापर में द्वारिका और कलयुग में हस्तिनापुर की रचना की। यहां तक कि सुदामापुरी का निर्माण भी उन्होंने ही किया। ऐसे में यह पूजा उन लोगों के ज्यादा महत्वपूर्ण है, जो कलाकार, बुनकर, शिल्पकार और व्यापारी हैं। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में इसी दिन जन्म लिए थे।