स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती से लेकर छात्रों की संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर होने वाला फर्जीवाड़ा अब पूरी तरह से बंद होगा। स्कूलों से जुड़ी ऐसी प्रत्येक जानकारी ऑनलाइन होगी। साथ ही कौन-सा स्कूल कहां मौजूद है, यह भी जियो टैगिंग के जरिए देखा जा सकेगा। इस पर काम शुरु हो गया है। अगले 6 महीनों के भीतर यह सब कुछ ऑनलाइन होगा। इनमें निजी और सरकारी दोनों ही स्कूल शामिल होंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने फिलहाल स्कूलों को लेकर यह पूरी कवायद उस समय शुरु की है, जब स्कूलों की ओर से गलत जानकारी देकर वित्तीय मदद लेने की शिकायतें तेज हुई हैं। इनमें सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल भी काफी संख्या में हैं।
इनकी संख्या कुल स्कूलों की संख्या का मात्र पांच फीसद ही हैं। बावजूद इसके मंत्रालय के पास जो रिपोर्ट है, इन स्कूलों के पास न तो इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही पर्याप्त शिक्षक हैं। ऐसी स्थिति बड़ी संख्या में निजी स्कूलों की भी है, जो एक या दो कमरे में संचालित किए जा रहे हैं।
सरकारी स्कूलों को लेकर भी सरकार की स्थिति असहज है, क्योंकि देश में बड़ी संख्या में ऐसे सरकारी स्कूल है, जो एक या दो शिक्षकों के भरोसे ही चल रहे है। उनमें इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है। यह स्थिति तब है, जब राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक और छात्रों के बीच का अनुपात काफी बेहतर है। प्रत्येक 23 से 24 छात्र पर एक शिक्षक है।