मकान में दुकान खोलने वालों को अब बतौर पेनाल्टी मासिक शुल्क अदा करना पड़ सकता है। विकास प्राधिकरण तब तक पेनाल्टी वसूलते रहेंगे जब तक आवासीय उपयोग वाले मकान का भू-उपयोग व्यवसायिक में परिवर्तित नहीं हो जाता। पेनाल्टी के तौर पर जुटने वाली धनराशि से प्राधिकरणों को संबंधित क्षेत्र में जन सुविधाएं विकसित करनी होंगी।
सरकार का स्पष्ट तौर पर मानना है कि शहरों में मुख्य सड़कों पर स्थित भवनों में जिस कदर दुकानें या अन्य व्यवसायिक गतिविधियां चल रह रही हैं उन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना व्यवहारिक दृष्टिकोण से बिल्कुल संभव नहीं है।
भू-उपयोग के विपरीत इस तरह की गतिविधियों से विकास प्राधिकरणों को तो कुछ हासिल नहीं हो रहा है लेकिन खासतौर से प्रवर्तन कार्य से जुड़े इंजीनियर आदि मकान-दुकान को ध्वस्त करने का डर दिखाकर अवैध वसूली जरूर कर रहे हैं।
ऐसे में प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन दीपक कुमार की अध्यक्षता में प्राधिकरण उपाध्यक्षों की हुई बैठक में एक ऐसी नीति बनाने का फैसला किया गया है जिससे मकान में दुकान या व्यावसायिक गतिविधियां चलाने वालों को बड़ी राहत मिलने के साथ ही वित्तीय संकट से जूझ रहे प्राधिकरणों की कमाई में भी जबरदस्त इजाफा हो सकता है। नीति बनाने के लिए सरकार ने आवास आयुक्त अजय चौहान की अध्यक्षता में समिति गठित की है जिसमें LDA उपाध्यक्ष के साथ ही अर्बन प्लानिंग से जुड़े विशेषज्ञों को भी रखा गया है।