पिछड़े, दलितों और आदिवासियों को राजनीति में एक अहम स्थान दिलाने वाले कांशीराम डॉ. भीमराव आंबेडकर के बाद दलितों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। बुधवार को उनकी 13वीं पुण्यतिथि है। 9 नवंबर, 2006 को उनका निधन हुआ था।
पंजाब प्रांत के एक दलित परिवार कांशीराम का जन्म 15 मार्च, 1934 में हुआ था। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर दलितों के उत्थान का फैसला किया था। 1981 में उन्होंने दलित शोषित समाज संघर्ष समिति या DS4 की स्थापना की। उन्होंने 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की।
बसपा प्रमुख मायावती ने कांशीराम की पुण्यतिथि पर उनको याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने Uttar Pradesh का उदाहरण देते हुए कहा कि जातिवादी व संकीर्ण ताकतें BSP मूवमेंट को चुनौतियां, लेकिन वह आगे बड़ते रहे। उन्होंने कांशीराम को पुष्पांजलि व श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के साथ उनके सपनों को साकार करने का संकल्प भी लिया।
उन्होंने बुधवार सुबह Tweet कर कहा कि ‘बामसेफ, DS4 व BSP मूवमेंट के जन्मदाता व संस्थापक कांशीरामजी को आज उनकी पुण्यतिथि पर BSP द्वारा देश व विशेषकर UP में अनेकों कार्यक्रमों के जरिए भावभीनी श्रद्धांजलि व श्रद्धा-सुमन अर्पित। उपेक्षितों के हक में उनका संघर्ष था ‘वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा।’
उन्होंने कहा कि Delhi में गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर स्थित प्रेरणा केंद्र में और Lucknow में BSP सरकार द्वारा वीआइपी रोड में स्थापित भव्य मान्यवर श्री कांशीरामजी स्मारक स्थल के आयोजनों में बहुजन नायक कांशीराम को पुष्पांजलि व श्रद्धा-सुमन अर्पित। उनके सपनों को साकार करने का संकल्प।