गीता के प्रकाश में दीपावली का आयोजन

गीता परिवार लखनऊ के तत्वावधान में गीता के प्रकाश में दीपावली कार्यक्रम का आयोजन श्रीदुर्गाजी मंदिर शास्त्रीनगर लखनऊ में किया गया। जिसमें अंतकेंद्र गीता कौशल स्पर्धा, गीता लेखन स्पर्धा, अवरोह क्रम में अध्याय उच्चारण स्पर्धा, गीता के प्रकाश में दीपावली विषय पर वक्तृत्व स्पर्धा एवं बहुआयामी खेल प्रकल्प स्पर्धा आयोजित की गई। प्रतियोगिताओं में विभिन्न केंद्रों के बच्चों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों में बृजेन्द्र पांडेय, विजय कर्ण, कृष्ण कुमार शुक्ला, रमेश मिश्र, अरविन्द मिश्र, राजेश गुप्ता, डा. आशु गोयल, आचार्य विनोद तिवारी, सुधीर तिवारी, अविन्द शर्मा मौजूद थे। मुख्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवल कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस मौके पर गीता परिवार के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. आशु गोयल ने बताया गीता की वाणी में हमें कैसा विश्वास आना चाहिए उसके अनुसार अपना जीवन तत्परता से आहूत कर देना चाहिए। हम किस प्रकार अपने जीवन को प्रकाशित करे। अंधकार क्या है प्रकाश का न होना, ज्ञान का अभाव अज्ञान, जब हम सत्य का हरण करने का प्रयास करते है तब यह अज्ञान उत्पन्न होता है। बृजेन्द्र पाडेंय ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि अपनी मातृ भाषा में जिसका मूल संस्कृत है यदि उसका संस्कार आपको जीवन में कही से प्राप्त नहीं हुआ है तो संसार की किसी भी भाषा को बोलने, जानने, समझने में कभी भी सक्षम व समर्थ नहीं हो सकते। क्योंकि सबसे ज्यादा परिमार्जित, सबसे ज्यादा व्यापक और अर्थसंदर्भ रखने वाली भाषा संस्कृत ही है।

विजय कर्ण ने बच्चों को बताया कि शब्द नाम की ज्योति न होती तो पूरा संसार अंधकारमय होता। हम सभी के अंदर ध्वनि है जिसको ध्वनि के रूप स्फुटित करते है। इसलिए इन अक्षर तत्वों को हम जीवंत करते है। बच्चों का पहला संस्कार श्रवण, दूसरा संस्कार भाषण, तीसरा संस्कार पठन और चैथा संस्कार लेखन होता है। जब लेखन हो जाता है तब वह पुष्ट हो जाता है। दुनिया में किसी भी चीज को सीखने के लिए चारों तत्व अनिवार्य है।

रमेश मिश्र ने बताया कि गीता के माध्यम से अक्षर शब्द ब्रह्म का जो दीप जलाया वह सार्थक प्रतीत होता देख रहे। हम बिना किसी फल के आसित हुए अपने कर्तव्यों को करते रहे। हम क्या कर रहे उसकी चिंता करो, न कि दूसरा क्या कर रहा उसकी चिंता मत करो। समान वाचन स्पर्धा बालिका ख्याति ने बताया कि कौन ऐसे श्लोकांक है जो दो तीन बार आये है उन श्लोकांक को शुद्ध लिखना और बताना कि किन-किन श्लोकांक में आये कहां पर। इससे स्पर्धा में बालिका ख्याति से आचार्य विनोद तिवारी अत्यधिक प्रभावित हुए उन्होंने बालिका को नगद पुरस्कार दिया।

अंतकेंद्र गीता कौशल स्पर्धा में अतुल मिश्र, आदित्य रस्तोगी, शिवांशी गुप्ता, वैष्णवीराज साहू, जान्हवीराज साहू, गीता लेखन स्पर्धा में अतुल प्रथम, सृष्टि द्वितीय, ख्याति तृतीय, अवरोह क्रम में अध्याय उच्चारण स्पर्धा में तनु, तान्वी, जितेन्द्र प्रथम, सार्थक, अनुष्का, रितिक द्वितीय, पीयूष, सृष्टि तृतीय, गीता के प्रकाश में दीवाली स्पर्धा में अविरल, अनुष्का प्रथम, अजंलि, अध्ययन द्वितीय और बहुआयामी खेल प्रकल्प स्पर्धा में मधुर योगी समूह के बच्चों ने बाजी मारी।

मुख्य अतिथियों ने विजयी बच्चों को मूमेंटोस् व अन्तर्केन्द्रीय गीता कौशल प्रतियोगिता में विजयी केन्द्र बिरहाना को ट्रॉफी देकर पुरस्कृत किया। सम्पूर्ण भगवद्गीता कंठस्थ कर रहे बालकों में जिनकी गीता सम्पूर्ण हो चुकी है ऐसे सात बालकों के परिवारों को गीता परिवार द्वारा अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इतने क्लिष्ट प्रश्नों का उत्तर छोटे-छोटे बच्चों को देते देख आये हुए अनेक मूर्धन्य संस्कृत के विद्वान भी चकित रह गये।

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