एक बड़े शिक्षण संस्थान के खेल विभाग से पिछले दिनों एक साहब रिटायर हुए। खिलाडिय़ों में उनका बड़ा खौफ रहता था। Retirement वाले दिन उन्होंने बड़ी पार्टी अपने साथियों और अफसरों को दी। सबने उन्हें फूल माला पहनाकर मिठाई खिलाई।
उधर खिलाडिय़ों के चेहरे की चमक भी बढ़ गई। सबको लगा कि अब वे जाएंगे तो कभी कभार ही मिलने आया करेंगे, साहब ठहरे ऊंची पहुंच वाले। Retirement के बाद भी उनकी कुर्सी बनी हुई है। पुराने अंदाज में वह रोजाना दफ्तर पहुंचते हैं। सारे हिसाब किताब करते हैं और खिलाडिय़ों को भी खूब हड़काते हैं। साहब की हनक आज भी वैसी ही बनी हुई है जैसी Retirement से पहले थी।
उनका यह रूप देखकर अब तो साथी कर्मचारियों के भी पैरों तले जमीन खिसकने लगी है। हर कोई यही कहता फिर रहा कि आखिर ऐसा क्या है इस कुर्सी में जो साहब इसे छोड़ नहीं पा रहे। प्राथमिक School के बच्चों को ठंड से बचाने के लिए स्वेटर बांटने की योजना है।
इसका जिम्मा बेसिक शिक्षा विभाग को दिया गया। जिले में इन दिनों इस विभाग की मुखिया एक मैडम हैं। ठंड की शुरूआत नवंबर से ही हो गई थी मैडम का हिसाब दिसंबर तक नहीं बन पाया।