अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इस्लामाबाद में निकाले गए औरत मार्च पर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने लाठी-डंडों, पत्थरों और जूतों से हमला कर दिया। जिसमें कुछ लोगों को चोटें आई हैं। Pakistan ‘डॉन’ नामक वेबसाइट ने एक व्यक्ति के घायल होने की जानकारी दी है।
महिला संगठनों, मानवाधिकार संगठनों और लैंगिक अल्पसंख्यकों द्वारा न्याय और इंसाफ की मांग के साथ निकाले गए ‘औरत मार्च’ के खिलाफ परंपरावादियों व कट्टरपंथियों ने बीते कई दिन से मोर्चा खोला हुआ था।
मार्च पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाल में इस्लामाबाद हाई कोर्ट में याचिका भी दी गई थी। मार्च में लगाए जाने वाले नारों को गैर इस्लामी करार देते हुए इसका विरोध भी किया गया था। अश्लीलता का भी आरोप लगाया गया इसे साबित नहीं किया जा सका। कोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी थी।
Pakistan के कई शहरों में महिला दिवस के अवसर पर ‘औरत मार्च’का आयोजन किया गया। इनमें शामिल लोगों ने महिलाओं के लिए हर क्षेत्र में मौलिक अधिकारों की मांग की। मुल्क के कट्टरपंथी इसका विरोध करते रहे हैं। Pakistan में 2018 में पहली बार औरत मार्च निकाला गया था। हम औरतें नामक संगठन द्वारा आयोजित यह मार्च लाहौर, मुल्तान, फैसलाबाद और लरकाना समेत कई शहरों में निकाला गया।
इस साल भी कराची, इस्लामाबाद, लाहौर, मुल्तान और क्वेटा जैसे शहरों में औरत मार्च निकाला गया। लाहौर में निकाले गए मार्च में हाथों में तख्तियां लिए लोग महिलाओं की आजादी की मांग को लेकर नारे लगा रहे थे। इस्लामाबाद के जिला उपायुक्त हमजा शफकात ने बताया कि लाल मस्जिद ब्रिगेड के दर्जनों महिलाओं और पुरुषों ने ‘औरत मार्च’ के समानांतर रैली निकाली। इनमें कई स्थानीय आतंकी समूहों के सदस्य भी शामिल थे।
महिलाओं ने भी रैली निकाली और इस्लामी कानून के अनुसार महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देने की मांग उठाई। जमाते इस्लामी के नेता मौलाना सिराजुल हक ने कहा कि वे ‘औरत मार्च’ की कई बातों से सहमत नहीं हैं लेकिन इसके विरोध में नहीं बल्कि वो समर्थन करते हैं।