चीन से बढ़े तनाव के बाद इस बार उत्तराखंड से सटी चीन की सीमा पर मौसम तैनात सेना और आईटीबीपी जवानों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है। राज्य के सीमावर्ती उच्च हिमालयी लिपूलेख, कालापानी की अग्रिम चौकियों पर इन दिनों न्यूनतम तापमान माइनस 15 से माइनस 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।
इस कारण उच्च हिमालयी रेंज के 80 किलोमीटर सीमा क्षेत्र में 37 से अधिक प्रमुख जलस्रोतों के साथ झरने भी जम गए हैं। ऐसे हालात में जवानों को पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है।
चीन सीमा से सटे भारत के लास्पा, मिलम, बुगडियार, लिपूलेख, बूंदी, गर्बयांग, नप्लचु, रोगकोंग, गुंजी, नाबी सहित व्यास वैली की अग्रिम चौकियों में 2500 से अधिक जवान तैनात हैं। इन क्षेत्रों के 6 से अधिक गांवों में 300 से अधिक स्थानीय लोग भी वहां रह रहे हैं।
इस इलाके में 18 दिनों में छह से अधिक बार बर्फबारी हो चुकी है। वहां कई जगह रास्तों पर पांच फीट से अधिक बर्फ जमा है। स्थानीय लोगों के लिए भी घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
भारत-चीन सीमा की अग्रिम चौकियों में पानी के स्रोत जमने से अधिकतर क्षेत्रों में जवान और लोग बर्फ गलाकर पानी का प्रबंध कर रहे हैं। लास्पा, मिलम, बुगडियार में पानी की लाइन भी जम गई हैं। वहां तैनात आईटीबीपी, सेना व बीआरओकर्मी पेयजल लाइन के नीचे आग जलाकर पानी की व्यवस्था कर रहे हैं।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस समय तापमान माइनस 15 से भी नीचे होने के कारण सभी जलस्रोत और झरने तक जम गए हैं। ऐसे स्थिति में यही उपाय है कि जमे जल स्रोतों की बर्फ को गलाकर ही पानी का उपयोग किया जाए।