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आज के दिन पहली बार बने थे प्रधानमंत्री

नई दिल्ली
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 अटल बिहारी वाजपेयी यूं तो भारतीय राजनीतिक के पटल पर एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से न केवल व्यापक स्वीकार्यता और सम्मान हासिल किया, बल्कि तमाम बाधाओं को पार करते हुए 90 के दशक में भाजपा को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई। यह वाजपेयी के व्यक्तित्व का ही कमाल था कि भाजपा के साथ उस समय नए सहयोगी दल जुड़ते गए।

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भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी का अपना अलग ही महत्व और इतिहास है। अगर किसी ने हिंदी को प्रचारित और प्रसारित करने और इसके प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए सबसे ज्यादा काम किया है वो हैं देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी।

25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ। अटल के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और मां कृष्णा देवी हैं। वाजपेयी का संसदीय अनुभव पांच दशकों से भी अधिक का विस्तार लिए हुए है।

16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री बने। अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए। इसके बाद 1957 में वह सासंद बनें। अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे। वहीं वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहें। इस दौरान अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीते। वहीं वह गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे।

साल 1950 के दशक की शुरुआत में आरएसएस की पत्रिका को चलाने के लिए वाजपेयी ने कानून की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। बाद में उन्होंने आरएसएस में अपनी राजनीतिक जड़ें जमाईं और बीजेपी की उदारवादी आवाज बनकर उभरे। राजनीति में वाजपेयी की शुरुआत 1942-45 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में हुई थी। उन्होंने कम्युनिस्ट के रूप में शुरुआत की, लेकिन हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता के लिए साम्यवाद को छोड़ दिया। संघ को भारतीय राजनीति में दक्षिणपंथी माना जाता है।

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